पितृ पक्ष तिथियों का आगमन: पितृ पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर 2023 तक है, पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण,श्राद्ध और पिंडदान कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है.

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 श्राद्ध का महत्व: श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की याद में उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का परंपरागत तरीका होता है, जिसमें श्राद्ध, पिंडदान, और तर्पण किया जाता है।

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 श्राद्ध की विधि: पितरों की शांति के लिए श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से पहले नहाए, सात्विक भोजन तैयार करके मृत परिजन की फोटो के सामने प्रस्तुत करे तथा उनसे आशीर्वाद मांगे। उसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दिया दे 

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श्राद्ध करने का अधिकार: पुत्र को पिता के श्राद्ध करने का प्राथम  अधिकार होता है, और अधिक पुत्र होने पर ज्येष्ठ पुत्र को इस कार्य का दायित्व दिया जाता है 

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दान की वस्तुएं: श्राद्ध पक्ष में गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान, गुड़, चांदी, और नमक जैसी दस वस्तुएं दान की जाती हैं, और ब्राह्मणों को भोजन के रूप में प्रदान की जाती हैं.

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अन्य अधिकारी: अगर पुत्र नहीं हो, तो पत्नी,  भाई, जवाई,  भतीजा आदि इस श्राद्ध  कार्य के अधिकारी हो सकते हैं.

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पितृ पक्ष के महत्वपूर्ण परंपराओं के साथ, परिवार के लिए आभार और समर्पण का समय होता है, जिसमें पूर्वजों के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान दिखाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

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