जिसमें दो व्यक्ति मिलकर उन समस्याओं को सुलझाने का जीवन भर प्रयास करते हैं, जोपहले कभी थी ही नहीं !!
जहाँ 'बहादुर' शेरों का शिकार कोमल' हिरणियों करती हैं।
आप मुझे नसीब से मिले हो.....से लेकर..... _नसीब फूटे थे, जो तुम मिले !_तक का सफर है।
कहाँ गई थी जान?.... से लेकर.... कहाँ मर गई थी?!!_तक का सफर है। - अजी सुनते हो....से लेकर... _बहरे हो गए हो क्या?!!_तक का सफर है।
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