mann ki baat 27 august 2023
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने इस साल वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में 26 पदक अपने नाम किए। खास बात यह है कि इससे पहले भारत के पास कुल 18 पदक थे, लेकिन इस साल भारतीय खिलाड़ी 11 स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह मन की बात कार्यक्रम में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को जमकर सराहा। मन की बात के 104वें संस्करण में उन्होंने इस बार पदक जीतने वाले कुछ खिलाड़ियों से बात भी की। प्रधानमंत्री ने जिन खिलाड़ियों से बात की वह अलग-अलग राज्यों से थे और देश के अलग-अलग कोने के रहने वाले हैं। खिलाड़ियों ने प्रधानमंत्री से बात करके अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि इस तरह की सराहना भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करती है।
प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम में बताया कि इस साल भारत ने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी खेलों में कुल 26 पदक जीते, जिनमें 11 स्वर्ण पदक शामिल हैं। हालांकि, इससे पहले भारत इन खेलों में कुल 18 पदक ही जीत पाया था। पीएम मोदी ने कहा “कुछ ही दिनों पहले चीन में विश्व यूनिवर्सिटी गेम्स हुए थे। इन खेलों में इस बार भारत ने अब तक का अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया। हमारे खिलाड़ियों ने कुल 26 पदक जीते, जिनमें से 11 स्वर्ण पदक शामिल थे। आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 1959 से लेकर अब तक जितने विश्व यूनिवर्सिटी गेम्स हुए हैं, उनमें जीते सभी पदकों को जोड़ दें तो भी ये संख्या 18 तक ही पहुंचती है।”
भारत ने 62 साल में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में कुल 18 पदक ही जीते थे, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी 26 पदक जीतने में सफल रहे, जिनमें 11 स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। भारतीय खिलाड़ियों की सफलता में खेलो इंडिया गेम्स जैसे आयोजनों का बड़ा योगदान है। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के अलावा अन्य प्रतियोगिताओं में भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। खेल के प्रति प्रधानमंत्री की ऊर्जा ने क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों के खिलाड़ियों को नई पहचान दिलाई है और आज के युवा दूसरे खेलों में भी करियर बनाने के लिए उत्साहित रहते हैं।

मन की बात कार्यक्रम की 104वीं एपिसोड में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के लिए आवाज बुलंद की। उन्होंने इस कार्यक्रम में चंद्रयान मिशन की सराहना की और यह कहकर दिखाया कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की सराहना के लिए शब्द कम हैं।
‘आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी डेयरी को अपना व्यवसाय बना रहे हैं। राजस्थान के कोटा में डेयरी फार्म चलाने वाले अमनप्रीत सिंह ने डेयरी के साथ ही बायोगैस प्लांट भी स्थापित किए हैं, जिससे उनकी बिजली की खर्च में 70 प्रतिशत तक की कमी आई है। वर्तमान में कई डेयरी फार्मों में बायोगैस पर फोकस किया जा रहा है। मुझे पूरा यकीन है कि इस तरह के नए प्रयास देशभर में आगे बढ़ेंगे।’
‘हमारी मातृभाषा हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम होती है। मातृभाषा से जुड़कर हम आसानी से अपनी संस्कृति और मूल्यों से जुड़ जाते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि 29 अगस्त को तेलुगू दिवस मनाया जाएगा और उन्होंने सभी को इस अवसर पर बधाई दी।’
‘संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक मानी जाती है। इसे कई आधुनिक भाषाओं की मातृ भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत ने अपनी प्राचीनता के साथ-साथ वैज्ञानिकता और व्याकरण के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हजारों वर्षों तक, भारत ने अपने प्राचीन ज्ञान को संस्कृत भाषा के माध्यम से संरक्षित किया है। आजकल देश में संस्कृत के प्रति जागरूकता और गर्व बढ़ रहा हैं। 2020 में, तीन संस्कृत Deemed यूनिवर्सिटीज को सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में शामिल किया गया। विभिन्न शहरों में संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्थान भी कार्यरत हैं, साथ ही आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में भी संस्कृत के प्रति रुझान बढ़ रहे हैं।’
इस बार 15 अगस्त के दौरान देश ने सबके सहयोग की शक्ति को दिखाया। सभी देशवासियों के प्रयासों से हर घर ने तिरंगा अभियान को अपना बना लिया। इस दौरान कई रिकॉर्ड भी बने। देशवासियों ने करोड़ों की संख्या में तिरंगे खरीदे और डेढ़ लाख पोस्ट ऑफिस के माध्यम से लगभग डेढ़ करोड़ तिरंगे बेचे। इससे हमारे कामगारों, बुनकरों और विशेष रूप से महिलाओं की आय में सुधार हुआ। तिरंगे के साथ सेल्फी लेने में भी इस बार नया रिकॉर्ड बना है। पिछले साल के 5 करोड़ सेल्फी के बाद, इस बार यह आंकड़ा 10 करोड़ पार किया गया है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने जनभागीदारी की दिशा में भारतीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि वाराणसी में हाल ही में हुई जी20 क्विज में 800 स्कूलों के लाखों छात्रों ने भाग लिया, जिससे दो विश्व रिकॉर्ड्स की स्थापना हुई है। उन्होंने इस उपलब्धि की प्रशंसा की और विभिन्न कारीगरों द्वारा किए गए प्रयासों की महत्वपूर्णता को भी बताया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशभर में आयोजित हुई बैठकों के बारे में भी बताया और इसके माध्यम से लोगों की जनभागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि जी20 देशों के प्रतिनिधिमंडल ने भारत की विविधता और लोकतंत्र को देखकर प्रभावित हुए और उन्हें यकीन हो गया कि भारत में अनेक सारी संभावनाएं हैं।
अगले महीने होने वाली G20 समिट के लिए भारत अग्रणी तैयारियों में जुट गया है। इस आयोजन में भाग लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में, G20 को एक और अधिक समावेशी फोरम बनाने का प्रयास किया गया है। भारत के निमंत्रण पर, अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होंगे।
G20 समिट की अध्यक्षता करने वाले प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बताया कि यह समिट ‘पीपुल्स प्रेसिडेंसी’ है, जिसमें जनभावना की महत्वपूर्ण भूमिका है। देशभर में इस आयोजन के चारों ओर जो उत्सव और गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं, उनमें से बहुत से लोग भाग लेने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे देश के डेढ़ करोड़ लोग जुड़े हैं।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में न केवल वैज्ञानिकों की, बल्कि अलग-अलग सेक्टर्स की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस मिशन के सफलता में सभी के प्रयासों का योगदान रहा है। वैज्ञानिकों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी इस महत्वपूर्ण प्रकल्प में अपना योगदान दिया है। यह चंद्रयान मिशन की सबसे बड़ी सफलता है और हमें आशा है कि आगामी दिनों में हमारे स्पेस सेक्टर में भी सफलता हासिल होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का स्वागत करते हुए एक अद्वितीय कविता सुनाई। इस मिशन के सफल परिणामों के मौके पर प्रधानमंत्री ने उनके संवाददाताओं के साथ इसे साहित्यिक रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। कविता इस प्रकार है:
आसमान में सिर उठाकर
घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प लें
अभी तो सूरज उगा है।
दृढ़ निश्चय के साथ चलकर
हर मुश्किल को पार कर
घोर अंधेरे को मिटाने
अभी तो सूरज उगा है।
23 अगस्त को भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से यह साबित किया कि संकल्प के सूरज चांद पर भी उगते हैं। इस महत्वपूर्ण मिशन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मुद्दा उत्थान किया है और यह उत्कृष्टता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री ने इस बार के मिशन में शामिल होने वाली अनेक महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका की बात करते हुए कहा, “भारत का मिशन चंद्रयान-3 ने न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में उनके सहयोग को पुनर्विचारित किया है, बल्कि यह उन्हें देश की गरिमा बढ़ाने और साहित्यिक रूप से मिशन की महत्वपूर्णता को उजागर करने का भी अवसर प्रदान करता है। उन्होंने अपने योगदान से देश को गर्व महसूस कराया है और हम सभी को उनके साहित्यिक कौशल की प्रशंसा करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आगे और यह जोड़ते हुए कहा, “हमारी बेटियां अब अनंत अंतरिक्ष में भी योगदान दे रही हैं। आज हमारे सपने बड़े हैं और हमारे प्रयास भी बड़े हैं। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता हमें उन उद्देश्यों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, जो हमारे वैज्ञानिकों ने निरंतर अपनाये हैं। भारत अंतरिक्ष में अपने महत्वपूर्ण स्थान को बनाए रखने के लिए अग्रसर रहेगा और हम नए उच्चांकन को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
स्वागत समारोह में, प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-3 मिशन के सफलताओं के लिए सभी वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और उनके समर्पित सहयोगियों को धन्यवाद दिया और उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की।